“जय हनुमान ज्ञान गुण सागर” यह श्लोक हनुमानजी की महिमा और उनकी गुणों की महत्ता को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि हनुमानजी ज्ञान और गुणों का सागर हैं, अर्थात् वे अत्यंत ज्ञानी और उनमें अनगिनत गुण सम्पन्न हैं।
इस श्लोक का विस्तृत उदाहरण है हनुमानजी के विभिन्न कथाओं और महाकाव्यों में, जैसे कि वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास रामचरितमानस में वर्णित उनके गुणों की कहानियाँ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर: विस्तृत अर्थ एवं उदाहरण
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर यह पंक्ति श्री हनुमान चालीसा की पहली पंक्ति है, जिसमें भगवान हनुमान जी की महिमा का वर्णन किया गया है।
अर्थ:
- जय: विजय या प्रशंसा का प्रतीक है।
- हनुमान: भगवान राम के भक्त, वीर योद्धा और पवनपुत्र का नाम।
- ज्ञान: अपार ज्ञान और विवेक का धारक।
- गुण: अनगिनत गुणों से युक्त।
- सागर: जिस प्रकार सागर में जल की अथाह मात्रा होती है, उसी प्रकार भगवान हनुमान जी में ज्ञान और गुणों की अथाह मात्रा है।
उदाहरण:
- ज्ञान: जब रावण ने सीता माता का अपहरण कर लिया था, तब भगवान हनुमान जी ने लंका तक समुद्र पार करने के लिए अपनी बुद्धि और विवेक का उपयोग किया।
- गुण: भगवान हनुमान जी अत्यंत वीर, शक्तिशाली, भक्त, समर्पित और विनम्र थे।
इस पंक्ति का भावार्थ है
“हे वीर हनुमान जी, आप विजयी रहें। आप ज्ञान और गुणों के अथाह सागर हैं।”
यहाँ कुछ अन्य उदाहरण दिए गए हैं जो भगवान हनुमान जी के ज्ञान और गुणों को दर्शाते हैं:
- सीता माता को ढूंढना: लंका में सीता माता को ढूंढने के लिए, भगवान हनुमान जी ने रावण के महल सहित पूरी लंका को जला दिया था।
- लक्ष्मण जी को जीवनदान: रावण के पुत्र मेघनाथ द्वारा लक्ष्मण जी को मार दिए जाने के बाद, भगवान हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जीवनदान दिया था।
- रामसेतु का निर्माण: भगवान राम के आदेश पर, भगवान हनुमान जी और वानर सेना ने समुद्र पर एक पुल का निर्माण किया था, जिसे रामसेतु कहा जाता है।
भगवान हनुमान जी ज्ञान और गुणों के भंडार हैं। वे हमें प्रेरणा देते हैं कि हम भी अपने जीवन में ज्ञान और गुणों को अर्जित करें और सदैव दूसरों की सेवा करें।