कुछ पौराणिक कथाओं और स्थानीय परंपराओं के अनुसार, सुवर्चला देवी भगवान सूर्य की पुत्री थीं और हनुमान जी से उनका विवाह हुआ था।
तेलंगाना में एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है जहाँ सुवर्चला देवी की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर के अनुसार, हनुमान जी लंका दहन के बाद घायल हो गए थे और उनका इलाज सुवर्चला देवी ने किया था। इलाज के दौरान उनके बीच प्रेम हो गया और उन्होंने विवाह कर लिया।
सुवर्चला देवी, भगवान हनुमान की पत्नी माना जाता है। हालांकि, रामायण और रामचरितमानस जैसे प्रमुख हिंदू ग्रंथों में हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी बताया गया है, इसलिए उनकी शादी का उल्लेख नहीं है।
सुवर्चला देवी कौन है ?
हिंदू धर्मग्रंथों में हनुमान जी के विवाह का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। लेकिन, कुछ लोककथाओं और पौराणिक कथाओं में उनके विवाह का वर्णन मिलता है।
इन कथाओं के अनुसार, सूर्य देव के पुत्र संपूर्ण ने रति नामक एक अप्सरा का अपहरण कर लिया था। इसके बाद रति के पति कामदेव ने संपूर्ण को शाप दिया कि वह एक वानर पुत्र के हाथों मार जाएगा।
भविष्यवाणी के अनुसार, जब हनुमान जी बड़े हुए, तो उन्होंने संपूर्ण का वध कर दिया। इसके बाद सूर्य देव ने हनुमान जी को पुरस्कार स्वरूप अपनी पुत्री सुवर्चला का हाथ दे दिया।
कहा जाता है कि विवाह के बाद भी सुवर्चला देवी तपस्या में लीन रह गईं और हनुमान जी ब्रह्मचारी ही रहे।
सुवर्चला देवी को ज्ञान और शक्ति की देवी माना जाता है। उनकी पूजा विशेष रूप से तेलंगाना राज्य में की जाती है। यहां पर एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है जहां भगवान हनुमान और सुवर्चला देवी की एक साथ पूजा की जाती है।
सुवर्चला देवी के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- कुछ लोगों का मानना है कि सुवर्चला देवी ही माता सीता का पूर्व जन्म थीं।
- एक कथा के अनुसार, सुवर्चला देवी ने हनुमान जी को अमरता का वरदान दिया था।
- सुवर्चला देवी को पांच शक्तियों – शक्ति, ज्ञान, वीर्य, पराक्रम और तेज की देवी माना जाता है।
सुवर्चला देवी का महत्व:
- सुवर्चला देवी शक्ति और ज्ञान की देवी हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को शक्ति, ज्ञान, साहस और सफलता प्राप्त होती है।
- सुवर्चला देवी पतिव्रता का भी प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से सुखी और समृद्ध विवाहित जीवन प्राप्त होता है।
सुवर्चला देवी की पूजा कैसे करें:
- सुवर्चला देवी की पूजा किसी भी शुभ दिन या मंगलवार को की जा सकती है।
- पूजा प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
- सुवर्चला देवी की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें और उन्हें फूल, दीप, धूप और नैवेद्य अर्पित करें।
- सुवर्चला देवी की आरती गाएं या मंत्र का जाप करें।
- पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें।