हनुमान को हनुमान क्यों कहा जाता है ?

हनुमान जी भारतीय संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनका नाम सुनते ही उनके बल, भक्ति, और अद्वितीय गुणों का स्मरण होता है। परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि उन्हें “हनुमान” नाम क्यों दिया गया? इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि हनुमान को हनुमान क्यों कहा जाता है, उनके नाम के पीछे की पौराणिक कथाएं और इसके महत्व।

हनुमान नाम का मूल अर्थ

हनुमान नाम का अर्थ उनके शारीरिक और मानसिक गुणों के आधार पर दिया गया है। “हन्” का अर्थ है ‘नाश करना’ या ‘ध्वंस करना’, जबकि “मान” का अर्थ है ‘सम्मान’। इस प्रकार हनुमान का अर्थ होता है वह जो बुराई का नाश कर, अच्छाई का सम्मान करता है। लेकिन इससे भी अधिक दिलचस्प है कि उनके इस नाम के पीछे कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।

हनुमान जी का जन्म और बाल्यकाल की कथा

हनुमान जी का जन्म पवन देवता और अंजना माता से हुआ था। जन्म के समय ही वे अद्वितीय शक्तियों के धनी थे। बाल्यकाल में हनुमान जी ने सूर्य को एक पका हुआ फल समझकर निगलने की कोशिश की थी, जिससे पूरे संसार में अंधकार छा गया। तब देवताओं ने उनकी यह बाल सुलभ भूल सुधारने के लिए उन्हें चेतावनी दी। यही वह समय था जब इंद्रदेव ने हनुमान पर वज्र का प्रहार किया, जिससे उनकी ठोड़ी (हनु) टूट गई। इसी चोट के कारण उनका नाम “हनुमान” पड़ा, जिसका अर्थ है ‘वह जिसका हनु (ठोड़ीमनुष्यों के चेहरे में होंठ के नीचे वाली हड्डी को कहते हैं) टूटा हुआ हो’।

हनुमान जी के अन्य नाम और उनके अर्थ

हनुमान जी के कई नाम हैं, जो उनके विभिन्न गुणों और उपलब्धियों को दर्शाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

  • अंजनेय: माता अंजना के पुत्र होने के कारण उन्हें यह नाम मिला।
  • मारुति: पवन देव के पुत्र होने के कारण उनका यह नाम प्रसिद्ध हुआ।
  • बजरंगबली: उनका शरीर वज्र के समान कठोर था, इसलिए उन्हें यह नाम दिया गया।
  • महावीर: उनकी अद्वितीय वीरता और साहस के कारण उन्हें यह उपाधि प्राप्त हुई।

हनुमान जी की भक्ति और रामायण में भूमिका

हनुमान जी की भक्ति और समर्पण का सबसे बड़ा उदाहरण रामायण में मिलता है। भगवान राम के प्रति उनकी निःस्वार्थ भक्ति ने उन्हें अद्वितीय बना दिया। सीता की खोज में उनकी भूमिका, लंका दहन, और संजीवनी बूटी लाने की घटनाएं उनकी वीरता और भक्ति को दर्शाती हैं। उनके इस अद्वितीय समर्पण और शक्ति के कारण राम भक्तों में उनकी पूजा की जाती है।

हनुमान जी की अनंत शक्तियां और चमत्कार

हनुमान जी को पंचमुखी हनुमान के रूप में भी जाना जाता है। इसका अर्थ है कि उनके पास पांच मुख होते हैं, जो पांचों दिशाओं को नियंत्रित करते हैं। उनके पास अनंत शक्तियां थीं, जैसे कि वे आकाश में उड़ सकते थे, किसी भी रूप में बदल सकते थे, और अजेय थे। इन शक्तियों के कारण वे रामायण के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक बने।

हनुमान जी की पूजा और महत्व

आज भी हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को की जाती है। उन्हें संकटमोचक कहा जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों के सारे कष्ट और परेशानियों को दूर करते हैं। हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, और उनकी मूर्तियों के सामने दीप जलाते हैं।

निष्कर्ष

हनुमान जी न केवल शक्ति और भक्ति के प्रतीक हैं, बल्कि वे एक ऐसे देवता हैं जो हर भक्त के जीवन में समर्पण, साहस और निष्ठा का संदेश देते हैं। उनके नाम और उनके कार्यों का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, जो उन्हें भारतीय पौराणिक कथाओं में अमर बना देता है।

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