यह मंत्र “हनुमान गायत्री मंत्र” के रूप में जाना जाता है। इसे भगवान हनुमान की स्तुति और ध्यान के लिए जपते हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
मंत्र:
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्।
शब्दार्थ और भावार्थ:
- ॐ
- यह ब्रह्मांड का मौलिक और पवित्र शब्द है। यह ईश्वर के निराकार और अनंत स्वरूप का प्रतीक है।
- आञ्जनेयाय विद्महे
- आञ्जनेयाय = अंजना के पुत्र (हनुमान) को।
- विद्महे = हम उन्हें जानते हैं या उनकी महिमा को समझते हैं।
- मतलब: “हम अंजना के पुत्र (हनुमान) का ध्यान करते हैं।”
- वायुपुत्राय धीमहि
- वायुपुत्राय = वायु (पवन देव) के पुत्र।
- धीमहि = हम उनका ध्यान करते हैं।
- मतलब: “हम वायुपुत्र हनुमान का ध्यान करते हैं।”
- तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्
- तत् = वह (हनुमान का दिव्य तेज)।
- नो = हमारे।
- हनुमत् = हनुमान।
- प्रचोदयात् = प्रेरित करें, मार्गदर्शन करें।
- मतलब: “वह हनुमान हमें प्रेरणा दें और हमारा मार्गदर्शन करें।”
पूर्ण अर्थ:
“अंजना और वायु देव के पुत्र, भगवान हनुमान से हमारी प्रार्थना है, कि हनुमान जी हम आप से प्रार्थना करते हैं हमारी बुद्धि को सही दिशा प्रदान करे।“
भाव:
यह मंत्र भगवान हनुमान की बुद्धि, शक्ति और निष्ठा का आह्वान करता है। इसे जपने से व्यक्ति में साहस, बल, विवेक, और निष्ठा का विकास होता है। यह मंत्र मानसिक शांति प्रदान करता है और कठिनाइयों को दूर करने में सहायक है।
ध्यान दें:
अगर इसे दिनचर्या में शामिल करें, तो मन और शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
मंत्र का महत्व
- शक्ति का प्रतीक: भगवान हनुमान को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से भक्तों में शक्ति और साहस बढ़ता है।
- संकटमोचन: भगवान हनुमान को संकटमोचन भी कहा जाता है। इस मंत्र का जाप करने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं।
- बुद्धि का विकास: इस मंत्र का जाप करने से भक्तों की बुद्धि का विकास होता है और वे सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
- आत्मविश्वास: इस मंत्र का जाप करने से भक्तों में आत्मविश्वास बढ़ता है।
- भय का निवारण: इस मंत्र का जाप करने से भक्तों का मन शांत होता है और वे सभी प्रकार के भय से मुक्त हो जाते हैं।
मंत्र का जाप कैसे करें
- शुद्ध मन से: मंत्र का जाप करते समय मन को शुद्ध रखना चाहिए।
- एकांत में: मंत्र का जाप एकांत में करना चाहिए।
- नियमित रूप से: मंत्र का जाप नियमित रूप से करना चाहिए।
- गुरु के मार्गदर्शन में: यदि संभव हो तो मंत्र का जाप किसी गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
ध्यान दें: मंत्र का जाप करते समय भावनाओं को केंद्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है।